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Showing posts from September, 2008

gazal--by Jagjit singh

Apni Marzi Se Kahan Apni Safar Ke Hum Hai Rukh Hawaaon Ka Jidhar Ka Hai Udhar Ke Hum Hain Pehle Har Cheez Thi Apni Magar Ab Lagta Hai Apne Hi Ghar Mein Kisi Doosre Ghar Ke Hum Hain Waqt Ke Saath Mitti Ka Safar Sadiyon Se Kisko Maaloom Kahan Ke Hain Kidhar Ke Hum Hain Chalte Rehte Hain Ke Chalnaa Hai Musaafir Ka Naseeb Sochte Rehte Hain Kis Raah Guzar Ke Hum Hain

swap -- स्वैप --उत्तराखंड ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम

स्वैप उत्तराखंड के समस्त गांवों को ( जो पेयजल से वंचित हैं ) पेयजल देने के लिए वर्ल्ड बैंक की सहायता से चलाया जा रहा एक महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट है जिसको लेकर राज्य सरकार , पेयजल विभाग और पेयजल सचिव अत्यन्त गंभीर हैं ...लगता है कि अख़बारों में इस प्रोग्राम को लेकर कुछ भ्रांतियां है , लेकिन अब जिस गति से प्रोग्राम चलाया जा रहा है , हम अपने lakshy को प्राप्त करने में सफल होंगें ...माह दिसम्बर तक प्रथम चरण कि सभी योजनायें पूर्ण हो जायेगी ....और ग्रामीणों को पेयजल उपलब्ध होगा ----नीलिमा गर्ग

my favourite poem--- by Amrita Pretam

चाँद सूरज जिस तरह एक झील में उतरतें हैं मैंने तुम्हे देखा नही कुछ नक्श से उभरते हैं वायदों को तोड़ती है एक बार ही ये जिन्दगी कुछ लोग हें मेरी तरह फ़िर एतबार करते हें