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Showing posts from March, 2008

aaina

एक सुंदर सी कविता पढ़ी हैं आपके साथ बाँटना चाहती हूँ आज फिर आईने ने दोहराया तेरी आँखो में ये नमी सी क्यों है तू औरत है तो क्या हुया आख़िर राहे हक में कमी सी क्यों है