ख्वाब
रात भर डूबता उगता रहा इक ख्वाब तुम्हारी आँखो से गिरा मेरी पलकों पे सजा रात भर दूधिया चाँदनी में घुलता रहा एक ख़वाब.... पेड़ों के पीछे-चाँद के साथ साथ- बादलों के संग चलता रहा एक ख़वाब..... ओस से गीला ठंड में दुबका सपनो की चादर बुनता रहा एक ख़वाब.........