Holi

फागुन आया उड़ रहा

अबीर और गुलाल

होली में सब मस्त हुए

किसका पूछे हाल

बसंती रंगो मे डूबे

खिला हास परिहास

फागुन में मदमस्त हुए सब

छाया उल्लास

सरसों फूली टेसू महका
खिला हरसिंगार
पीली चुनर ओढ़कर
प्रकृति ने किया श्रृंगार .


Comments

nice poem .
apna e mail dijiye .
फागुनी रस से सराबोर सुन्दर कविता .
Anonymous said…
great, great, great

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chand