स्वर्ण मन्दिर में आत्मिक शान्ति का अनुभव होता है और जलियावाला बाग १९१९ के निर्मम नरसंहार की याद दिलाता है अमृतसर में वाघा बॉर्डर की परेड भी शानदार है ...यह यात्रा एक ना भूलनेवाला अनुभव..........
रुकी रुकी सी बारिशों के बोझ से दबी दबी झुके झुके से बादलों से - धरती की प्यास बुझी घटाओं ने jhumkar मुझसे कुछ कहा तो है बूंदे मुझे छू गई - तेरा ख्याल आ गया सोंधी खुशबू वाला पानी तुझसे भी कुछ कहता होगा बादल ने बारिश के हाथों तुझको भी कुछ भेजा होगा मेघों ने बरसकर , तुझसे कुछ कहा है क्या - सावन की रिमझिम में तेरा ख्याल आ गया --- नीलिमा गर्ग
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paavan chitra....
abhivaadan .