chand
रात भर चाँद चलता रहा
रात का पहरा ढलता रहा
सुबह के आगोश में आने को
चाँद का मन मचलता रहा
सुरमई साँझ से निकला चाँद
बदली की ओट में छुपता रहा
रात का आँचल ढलते ही
सुबह के साये में गुम हुआ
सूने से आकाश में चमके
यूँ पूनम का चाँद ....
यादों में चांदनी उतरती
करीब चला आया चाँद ...
रात का पहरा ढलता रहा
सुबह के आगोश में आने को
चाँद का मन मचलता रहा
सुरमई साँझ से निकला चाँद
बदली की ओट में छुपता रहा
रात का आँचल ढलते ही
सुबह के साये में गुम हुआ
सूने से आकाश में चमके
यूँ पूनम का चाँद ....
यादों में चांदनी उतरती
करीब चला आया चाँद ...
Comments
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अदभुत है हमारा शरीर।
अंधविश्वास से जूझे बिना नारीवाद कैसे सफल होगा?
यूँ पूनम का चाँद ....
यादों में चांदनी उतरती
करीब चला आया चाँद ...
सुन्दर प्रेमाभिवयक्ति शुभकामनायें
करीब चला आया चाँद ...!
बहुत ही सुन्दर पंक्तियां, बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
मेरे ब्लोगों पर आपका स्वागत है!
बहुत बढ़िया रचना लिखा है आपने!