dhoop--poem
धूपमेरे आँगन में खिली धूपआकाश से उतरती फूलों पे सजी धूपओस की बूंदों को छूकर उड़ाती सर्दी में कुनकुनी गर्माहट हे धूपबांसों के झुरमुत से ताक झाँक करतीतुम्हारी आँखों की नर्म राहत सी धूपदिन की कठिन डगर पेधूप छाँव के खेल से थख़्कर साँझ को पत्तों पे सोई मेरे हिस्से की धूप
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