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सूर्योदय ( दार्जिलिंग की TIGER HILL पर )
सावन
रुकी रुकी सी बारिशों के बोझ से दबी दबी झुके झुके से बादलों से - धरती की प्यास बुझी घटाओं ने jhumkar मुझसे कुछ कहा तो है बूंदे मुझे छू गई - तेरा ख्याल आ गया सोंधी खुशबू वाला पानी तुझसे भी कुछ कहता होगा बादल ने बारिश के हाथों तुझको भी कुछ भेजा होगा मेघों ने बरसकर , तुझसे कुछ कहा है क्या - सावन की रिमझिम में तेरा ख्याल आ गया --- नीलिमा गर्ग
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60 वें गणतंत्र दिवस के पावन-पर्व पर आपको ढेरों शुभकामनायें !! ''शब्द-शिखर'' पर ''लोक चेतना में स्वाधीनता की लय" के माध्यम से इसे महसूस करें और अपनी राय दें !!!
kabhi gaye nahin us taraf..tasveeronmein dekh kar achcha laga