यादें करीब बीस बरस पहले की हैं यानि ८८ के आस पास कि हब टाइगर हिल पर बादलों को अपने नीचे से गुजरता देखा था। और फिर मानों सूर्य ऍसी ही गोलाई लिये हुए नीचे से ऊपर निकल आया था। शु्क्रिया इन चित्रों के माध्यम से स्मरण दिलाने के लिए !
फागुन आया उड़ रहा अबीर और गुलाल होली में सब मस्त हुए किसका पूछे हाल बसंती रंगो में डूबे खिला हास परिहास फागुन में मदमस्त हुए सब छाया उल्लास सरसों फूली टेसू महका खिला हरसिंगार पीली चुनर ओढ़करप्रकृति ने किया श्रृंगार .
रात भर चाँद चलता रहा रात का पहरा ढलता रहा सुबह के आगोश में आने को चाँद का मन मचलता रहा सुरमई साँझ से निकला चाँद बदली की ओट में छुपता रहा रात का आँचल ढलते ही सुबह के साये में गुम हुआ सूने से आकाश में चमके यूँ पूनम का चाँद .... यादों में चांदनी उतरती करीब चला आया चाँद ...
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