Posts

Badrinath Himalaya........How beautiful

Image

my favourite najm ---by Guljar

नज़्म उलझी हुई है सीने में मिसरे अटके हुए हैं होठों पर उड़ते -फिरते हैं तितलियों की तरह लफ्ज़ काग़ज़ पे बैठते ही नही कब से बैठा हुआ हूँ मैं जानम सादे काग़ज़ पे लिखके नाम तेरा बस तेरा नाम ही मुकम्मल है इससे बेहतर भी नज़्म क्या होगी-----------------

saahil

साहिल पर खड़े हुए सरकती रेत क़दमों के नीचे से जैसे वक्त सरकता जाए मुट्ठी से दूर क्षितिज पर एक सितारा आसमान पर टंके ये लम्हे ,पलछिन यही सच है शेष है भ्रम -- गुजरता वक्त जिन्दगी का सच है प्रतिपल बढ़ते कदम ,एक अनजान डगर पर जिसके आगे पूर्णविराम चिरनिद्रा चिर्विश्राम !!!

समय

समय मुट्ठी में बंधी रेत की तरह फिसल रहा है हाथ से समय बँधा क्यूं नही रहता कुछ ख़ूबसूरत लम्हो की तरह समय बहता रहता है दरिया की तरह समय पलट कर नही आता नही दिखता गुज़रे वक़्त की परछाई दर्पण में पड़ी लकीरो की तरह

colours of spring

Image
how beautiful is the nature......

SPRING

Want to catch the butterflies Want to hold the frangrance of flowers Want to keep the colours of spring Want to hold the romance ....... Forever and ever.... In my palms.......

aaina

एक सुंदर सी कविता पढ़ी हैं आपके साथ बाँटना चाहती हूँ आज फिर आईने ने दोहराया तेरी आँखो में ये नमी सी क्यों है तू औरत है तो क्या हुया आख़िर राहे हक में कमी सी क्यों है